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लेखनी कविता -जूही ने प्यार किया - भवानीप्रसाद मिश्र

जूही ने प्यार किया / भवानीप्रसाद मिश्र


जूही ने प्यार किया शतदल से!
दोनों के लोक दो, शोक किन्तु एक हुए दोनों के
सन्ध्या के झुरमुट से मानो निहारा और अश्रु चुए दोनों के
धरती पर इसके अश्रु, पानी पर उसके चुए
दोनों के लोक दो, शोक किन्तु एक हुए।

जूही का क्या होगा
धरती ने पूछा जल से!
जूही ने प्यार किया शतदल से!
प्रश्नों के उत्तर कहीं मिलते हैं
केवल हवा का झोंका आया
जूही ने अश्रु पिए शतदल हताश हुआ
मुरझाया! गाया किसी पानी के पंछी ने
ऐसा नहीं होगा कल से!
जूही ने प्यार किया शतदल से!

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